Monday, December 25, 2023

Creating a Mini Room Heater with Coffee

 Introduction

When it comes to finding innovative ways to use everyday household items, the possibilities are truly endless. In this blog, we will explore a fascinating experiment that involves creating a mini room heater using simple materials, including coffee. Yes, you heard that right! Coffee, a staple of many people's mornings, can be repurposed to generate heat and provide warmth in a small space. Let's dive into the details and learn how you can recreate this experiment at home.

Materials Needed

To embark on this exciting mini room heater project, you will need the following materials:

  • A coffee can
  • A spray can lid
  • Sandpaper
  • A small fan
  • A power supply
  • Electrical wires
  • A soldering iron
  • A temperature meter

Building the Mini Room Heater

Now that we have gathered all the necessary materials, let's move on to the step-by-step process of creating our coffee-powered mini room heater. 

1. Preparation: Begin by sanding the surfaces of the coffee can and the spray can lid to ensure a smooth working environment. 

2. Assembling the Components: Place the small fan inside the coffee can, making sure it is secure. Connect the fan to the power supply using electrical wires. Don't forget to attach the wires properly to avoid any electrical mishaps. 

3. Creating the Heating Element: Take the spray can lid and solder it onto the coffee can. This lid will act as a heating element when the power supply is connected. 

4. Testing the Heater: Once all the components are securely in place, it's time to test the mini room heater. Plug in the power supply and switch it on. You will notice that heat is generated by the coffee can, providing warmth in the surrounding area. 

5. Temperature Control: To monitor the temperature, attach a temperature meter to the coffee can. This will help you regulate the heat output and ensure safety throughout the experiment.

Conclusion

In conclusion, this mini room heater experiment showcases the versatility of everyday household items. By repurposing a coffee can and utilizing basic electrical components, you can create a functional and efficient source of heat. Whether you're looking to warm up a small space or simply want to explore the wonders of science, this project is an excellent choice. Safety is always a top priority when conducting any experiment. Make sure to follow all safety guidelines, including using proper insulation and avoiding any contact with hot surfaces. Additionally, remember that this experiment is for educational purposes only and should be conducted under adult supervision. We hope you found this experiment fascinating and inspiring. The ability to transform a simple coffee can into a mini room heater highlights the endless possibilities that lie within our everyday surroundings. So the next time you enjoy a cup of coffee, remember the potential it holds beyond its delicious taste.

Monday, December 4, 2023

ट्रेन गुम

🍁 असम के तिनसुकिया में हो गई थी एक ट्रेन गुम। और कान खड़े हो गए थे अमेरिका, रूस और चीन की सुरक्षा एजेंसियों की। क्यों ? जानिए एक बड़ी रोचक कहानी को।

🍁 वो पूरी ट्रेन लगभग 43 वर्षों तक गायब रही। 

🍁 और उसे ढूंढा अमेरिका से लेकर चीन की खुफिया एजेंसियों ने। जिसमें नासा भी शामिल था।

🍁असम के तिनसुकिया नामक स्थान से गायब हुई रहस्यमई ट्रेन वास्ते  आपको पहले अमेरिका चलना होगा।

🍁 5 दिसंबर 2019 को अमेरिका की नासा के उपग्रहों ने भारत के ऊपर एक चित्र खींचा। उस वक्त वे एशिया अफ्रीका क्षेत्र में जंगल पर वन मानचित्र बनाने के काम पर थे।

Manoj Khandelwal

🍁 उपग्रह ने उनको भारत के असम से एक ट्रेन के रेक की कुछ अस्पष्ट, जंगलों में छिपी हुई और बहुत धुंधली अपरिचित तस्वीरें भेजी।

🍁 नासा की सुरक्षा एजेंसी ने जब इन फोटो का एनालिसिस किया तो उनको ये संदेह हुआ कि भारत ने असम में अरुणाचल बॉर्डर  'रेल मोबाइल' ICBM ( intercontinental ballistic missile)
वास्ते एक ट्रेन रेक को छुपा रखा है। 

🍁 संदेह होने ही इन फोटो और संदेह को तत्काल पेंटागन हाउस भेज दिया गया।

🍁 अमेरिका की तमाम सुरक्षा एजेंसी के कान खड़े हो गए। और असम अरुणाचल बॉर्डर पर अपने जासूसी उपग्रहों को केंद्रित कर दिया।

🍁 पर अभी कई जबरदस्त और रोचक खेल शुरू होने बाकी थे।

🍁 पेंटागन हाउस में रूसी और चीनी डबल एजेंटों ने नासा द्वारा खोजी गई CBM Train' के बारे में रूस और चीन जासूसों को भी बता दिया।

🍁 अब फिर क्या था!! रूस और चीन ने भी अपने अपने उपग्रहों को असम अरुणाचल बॉर्डर पर केंद्रित कर दिया कि भारत किस देश वास्ते, किस प्रकार का मिसाइल, कहा छुपा कर रखा है? और उसका इरादा क्या है?

🍁 इधर भारत में ISRO, NTRO ने नोट किया कि इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस, चीन के उपग्रहों की असामान्य गतिविधियां अचानक बढ़ गई है। और ये खबर उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसियों को भेज दी।

🍁 चूंकि मामला अंतर्राष्ट्रीय था, इसलिए NSA और RAW भी एक्शन में आ गए। रॉ ने रूस और चीन में उनके लिए काम कर रहे एजेंटों से पता लगा लिया कि असम और अरुणाचल बॉर्डर पर सीरेल मोबाइल' ICBM ( Intercontinental ballistic missile)
वास्ते एक ट्रेन रेक देखा गया है।

🍁 जैसे ही भारत सरकार को ये सूचना मिली, वे सदमे में रह गए। उनको बड़ा खतरा नजर आने लगा। क्यों की भारत ने कुछ भी ऐसा छिपाकर नहीं रखा था?

🍁 अब सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि क्या किसी आतंकवादी संगठन या विदेशी शक्तियों ने यहां गुप्त अड्डा स्थापित कर लिया है?

🍁 सारे मुख्य सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया और मीटिंग शुरू हुई। जिसमें PMO , DIA (रक्षा खुफिया एजेंसी), NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), MOD (रक्षा मंत्रालय) और CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) शामिल हो गये।

🍁 IHQ, सैन्य अंतरिक्ष कमान और SFC (रणनीतिक बल कमान) सभी ने असम अरुणाचल बॉर्डर पर  किसी भी ट्रेन/रेक की नियुक्ति या छिपा कर रखने से इंकार कर दिया।

🍁 इन सुरक्षा एजेंसियों ने हवाई रेकी और स्वयं के उपग्रहों, IAF और ARC (विमानन अनुसंधान केंद्र) ने भी जांच की। उपग्रहों से ली गई तस्वीरों से पुष्टि हुई कि वाकई में यहां एक अच्छी तरह से छिपा हुआ ट्रैन रेक मौजूद है।

🍁 खबर की पुष्टि होते ही NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) के कार्यालय से एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी को एक गुप्त ऑपरेशन वास्ते इस साइट पर भेजा गया।

🍁 स्थिति की गंभीरता देखते हुए मार्कोस और गरुड़ सहित एसएफ (special Forces) की एक ग्राउंड पार्टी को भी साथ देने वास्ते तैयारी पर रखा की पता नहीं कहा से मिसाइल आ जाए?

🍁 अब असली धमाका सामने आने वाला था। 

🍁 तिनसुकिया स्वयं गुवाहाटी से लगभग 480 किलोमीटर उत्तर पूर्व और अरुणाचल सीमा से लगभग 80 किलोमीटर दूर है।

🍁 जब वरिष्ट सुरक्षा अधिकारी इसे पिन प्वाइंट करते हुए असम से तिनसुकिया से 40 किलोमीटर दूर एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। तो सच्चाई सामने आ गई। 

🍁 हुआ यूं था कि 16 जून 1976 को सुबह 11:08 बजे एक ट्रेन असम के तिनसुकिया के एक छोटे से स्टेशन में पहुंचा।

🍁 1976 में ये एक सामान्य बात थी कि छोटे स्टेशन पर प्लेटफार्मों के साथ समान लोडिंग और अनलोडिंग वास्ते कोई जगह उपलब्ध नहीं होने पर इंजन से यात्री डब्बों को अलग करके मुख्य स्टेशन पर छोड़ देते थे। और मॉल डब्बों वाले रैक को दूर बने यार्ड में ले जाकर समान चढ़ाने या उतारने का काम होता था। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था।

🍁 उसी दिन सुबह 11:31 बजे भारी बारिश हुई और पानी का सैलाब उफान पड़ा। बाढ़ आ गया।  पूरा स्टेशन 5 से 6 फीट पानी में डूब गया।

🍁 सभी यात्री उतर चुके थे। स्टेशन और रेलवे ट्रैक पर पानी भरने के कारण वे उसमें फंसने लगे।  स्थानीय ग्रामीणों की मदद से यात्रियों ने पैदल रेलवे ट्रैक के किनारे से सुरक्षित स्थानों पर चले गए।

🍁 कई दिनों बाद पानी का स्तर घटा। इस अवधि के दौरान स्टेशन मास्टर और कुछ कर्मचारी भी पोस्टिंग पर बाहर चले गए।

 🍁 इस बीच लोग उस अलग किए गए रेक के बारे में भूल गए। क्योंकि यह मुख्य स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर दूर एक अलग थलग साइडिंग पर और सुनसान जगह पर था।

🍁 धीरे-धीरे झाड़ - झंखाड़ और जंगलों ने  पूरे क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। इस साइडिंग, ट्रैन, रैक पर झाड़ियों, लताओं का कब्जा हो गया।  साँपों, पक्षियों और जंगली जानवरों ने उसमें अपना घर बना लिया।

 🍁 समय गुजरता गया।  अधिकांश पुराने रेलवे कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए। अन्य का निधन हो गया।  किसी को ट्रेन की याद नहीं रही। 

🍁 इंजन ड्राइवर डैनियल स्मिथ सितंबर 1976 में ऑस्ट्रेलिया चले गए। और ट्रेन अनजान रूप से पड़ी रही।

🍁 और इस तरह 18 दिसंबर 2019 को मुख्य तिनसुकिया से लगभग 40 किमी दूर एक छोटे स्टेशन पर पड़ा हुआ पाया गया था।

🍁 और अब आप पूरी कहानी जान चुके की खोदा पहाड़, निकली चुहिया। 

🍁  और इस खबर से अमेरिका, रूस, चीन और भारत सरकार का टेंशन दूर हुआ। अंत भला, तो सब भला।

🍁और यह है खोई हुई ट्रेन की कहानी। अविश्वसनीय, लेकिन बिल्कुल सच!

Friday, May 19, 2023

What is Social Media?

Social media is a virtual platform where people interact, create, share and exchange information and ideas. The Office of Communications and Marketing manages the primary social media accounts such as Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, and YouTube. But what are the six types of social media? They can be categorized into social networking, bookmarking, social news, media sharing, microblogging, and online forum sites. If you want to join the 4.7 billion people that use social media to share content, interact online, and build communities, then click on the link in the description and get started today!

M2 Max Macbook Pro review

The M2 Max MacBook Pro, released on January 17, 2023, has garnered significant attention for its impressive performance and features. This powerhouse laptop comes equipped with a 12-core CPU, 38-core GPU, 96GB of unified memory, and 4TB of storage. Apple claims that the M2 Max chip offers a 20% faster CPU and a 30% faster GPU compared to the M1 Max.

One of the standout features of the M2 Max MacBook Pro is its industry-leading performance per watt, making it the world's most powerful and power-efficient chip for a pro laptop. The M2 Max builds on the capabilities of the M2 Pro, including up to 38-core GPU, double the unified memory bandwidth, and up to 96GB of unified memory.

In terms of performance, the M2 Max outshines the M2 Pro in various tests, such as Geekbench Compute, where it shows a 55% increase in graphics power. Additionally, in GPU-heavy game benchmarks like Shadow of the Tomb Raider, the M2 Max performs nearly 80% better than the M2 Pro, providing a visibly enhanced experience on the 120Hz screens of these MacBooks.

However, the M2 Max MacBook Pro is not without its drawbacks. Some users have reported SSD problems with the 256GB models, resulting in slower storage speeds compared to larger-capacity models and even the M1 MacBooks. Furthermore, the M2 Max MacBook Pro retains the same old design, fewer ports, a 720p FaceTime HD camera, and the controversial Touch Bar.

Despite these shortcomings, the M2 Max MacBook Pro offers substantial performance improvements over the M1 MacBook Pro and slightly better performance than the M2 MacBook Air. However, considering the price difference, some may argue that the M1 Max or the M2 MacBook Air offer better value for money.

In conclusion, the M2 Max MacBook Pro is a powerful and efficient laptop that stands out for its impressive performance capabilities. However, potential buyers should weigh the pros and cons, considering factors such as budget and specific needs, before deciding if the M2 Max MacBook Pro is the right choice for them.

How good is Samsung's Galaxy S23 Ultra?

The Samsung Galaxy S23 Ultra is an impressive flagship phone that offers a range of cutting-edge features and improvements over its predecessors. It boasts a powerful 4nm Snapdragon 8 Gen 2 chip, which provides a significant boost in performance. The device also comes with faster UFS 4.0 storage and LPDDR5X RAM, ensuring a smooth and responsive user experience.

One of the standout features of the S23 Ultra is its 200MP main camera, which promises better low-light performance, improved dynamic range, and more detail. The overall camera system is versatile and offers excellent photo quality, making it one of the best camera phones on the market.

The S23 Ultra has a long-lasting 5000mAh battery that can easily last a full day on a single charge. It supports 45W fast wired charging speeds and 15W wireless charging. The device is protected by Corning Gorilla Glass Victus 2, ensuring durability and resistance to accidental drops.

Other notable features include 5G support, access to new versions of Android, longer battery life, and a much-improved camera system. However, some users have reported issues with the camera quality in certain situations.

Overall, the Samsung Galaxy S23 Ultra is a top-tier smartphone that offers a combination of power, performance, and advanced features. It is an excellent choice for those looking to upgrade from older models or seeking a high-quality Android device.

 
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